सच्चा धन बस प्रेम है, बाकी जग मे सब झूठ |
खर्च होय से बढत जाय, ना खर्च से जाय छूट ||
साथी वही जो साथ दे, रहे भले कभी न साथ |
साथ से एकला तो भला, ना भला बाँह का नाग ||
साथ से एकला तो भला, ना भला बाँह का नाग ||
वृद्ध जनों का आशीष है, सत्कर्मो का परिणाम |
श्रम बिन जामे घास ही, ना लगे बाग मे आम ||
भूल से भी हो भूल तो, बिन भूले भूल लो मान |
जलती बाती अभिमान की, बढे दिये का मान||
जलती बाती अभिमान की, बढे दिये का मान||
जब मोह घटे सामान से, और बढे परस्पर नेह |
सुख समृद्धि सम्बन्ध फिर, न तजे आपका गेह ||
मन का कहा बिन तोल ही, जो करता सारे काज |
चार दिन की हो चाँदनी, फिर लम्बी काली रात ||
चार दिन की हो चाँदनी, फिर लम्बी काली रात ||
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 01 मार्च 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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