आदमी- काश मेरे पास
एक दोस्त होता
जिससे कह पाता अपने
मन की बात
जो समझ सकता मेरी परेशानी
सब छोडकर देता मेरा
साथ
तभी बोला मन- एक के
लिये आप अभी भी रोते जाते है
फिर क्या सोचकर रोज फेसबुक पर मित्र बनाये जाते है
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आदमी- आप बहुत अच्छा
लिखती है,
लेखनी में आपकी सौम्यता
छलकती है
यदि आपको अनुचित ना
लगे
तो क्या करेगीं मेरी
फ्रैड रिक्वेस्ट स्वीकार
महिला- ये मेरा सौभाग्य
है जिसे
कर चुकी थी अर्पित अग्नि समक्ष
बीस वर्ष पहले अपना
तन मन
आज प्रस्तुत है वो
लेकर निवेदन
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पहले दोस्ती होती थी
धरती सी
जिसमें गहराई नापी
जाती थी
आज विकसित हो गयी है गगन सी
जिसमें होता है सिर्फ आंकडों का विस्तार
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आधुनिकतावाद ने किया
दोस्ती पर शोध
और बताये दोस्तो के
तीन प्रकार
गर्ल फ्रैंड, ब्वाय
फ्रैंड और फेसबुक फ्रैंड
और इन सबको बांधा एक
सूत्र में
जिसका नाम है अन्फ्रैंड
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डिजिट्ल युग की सबसे
बडी देन
घर बैठे अनलिमिटेड फ्रैंड पाये
जब चाहे जिसे चाहे
जब तक चाहे
मित्र बनाये दोस्ती
निभाये
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हजारों ने भरपूर मित्रता
निभायी
घंटे भर में सब थे
मेरे साथ
लाइक कर रहे थे मेरी
पोस्ट
जिसमें बताया था, हुआ
है
कल रात मेरी माँ का
देहान्त
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जाने कहाँ विलुप्त हुये
सुदामा और श्याम
फूल माला भोग का
नही पूजा में कोई काम
ईश्वर तो देखता है
मात्र सच्चा भाव
श्रद्धा से शेयर होता
भगवान और भक्तिभावो
सर झुकाने मुराद पाने
नही जाना ईश के द्वार पर
कि भगवान मन्दिर मस्जिद
नही
मिलते हैं अब फेसबुक
वाल पर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (07-03-2017) को
जवाब देंहटाएं"आई बसन्त-बहार" (चर्चा अंक-2602)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Uttam likha hai...इतिहास के हर पन्ने पर लिखा है की,
जवाब देंहटाएंदोस्ती कभी बड़ी नहीं होती, निभाने वाले हंमेशा बड़े होते है !!