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सोमवार, 20 नवंबर 2017

तुम्हे लिखना है मुझे


कुछ पन्ने जिन्दगी के, आज पलटने हैं मुझे
बीते तन्हा कल में भी , तुम्हे, लिखना है मुझे

रुकूंगी उन मोडों पर, जहाँ दर्द से तडपे थे
हर जख्म का मरहम, तुम्हे, लिखना है मुझे
कुछ पन्ने जिन्दगी के, आज पलटने हैं मुझे

जवां पलों को सैर, बचपन की मै कराऊंगी
साथी अल्हडपन का, तुम्हे, लिखना है मुझे
कुछ पन्ने जिन्दगी के, आज पलटने हैं मुझे

गुजरी गलियों को, सितारों से सजाऊंगी
ख्वाबों का शंहशाह, तुम्हे, लिखना है मुझे
कुछ पन्ने जिन्दगी के, आज पलटने हैं मुझे

चलोगे तुम मेरे साथ, मेरे बीते लम्हों में
हर आस हर सांस में, तुम्हे, लिखना है मुझे
कुछ पन्ने जिन्दगी के, आज पलटने हैं मुझे



कुछ पन्ने जिन्दगी के, आज पलटने हैं मुझे
बीते तन्हा कल में भीतुम्हे, लिखना है मुझे

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-11-2017) को "मत होना मदहोश" (चर्चा अंक-2795) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. भावमय करती अभिव्यक्ति ....

    जवाब देंहटाएं

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