ये उन सभी लोगो के लिये है जो काश शब्द का प्रयोग करते है , काश अच्छा शब्द है किन्तु तब जब इसे हम भविष्य बनाने के लिये प्रयोग करें ,क्यो कि समय निकलने के बाद जब जब हम इसको बोलते है , तो हमेशा ये एक टीस के साथ ही आता है ।
काश ……
जीवन के हर मोड पर ,
चुप रही ना होती ।
अनगिनत ताड्नायें ,
सही ना होती ।
जाने कितनी बार ,
किया खुद पर अत्याचार ।
और आँखो से छीना ,
स्वप्न देखने का अधिकार ।
काश मै
दिन या रात कभी भी ,
एक तो ख्वाब बुनती ।
कभी तो अपने मन की,
आवाज मै सुनती ।
अपना सब कुछ ,
ना करती अर्पण ।
तो शायद ना बिखरता ,
मेरा मन दर्पण ।
काश मै
अपना भी कोई ,
जहाँ में अस्तित्व बनाती ।
अपने नाम को भी ,
थोडा सम्मान दिलाती ।
खामोशी को ना ,
समझती मै आदर्श ।
किसी पल तो करती,
किसी से तर्क – वितर्क ।
काश मै
अपनी जुबां पर ,
दो शब्द ही ले आती ।
अपने मन की कथा को ,
कोई तो रूप दे पाती ।
काश ……..
बहुत सुन्दर अर्पणा जी ... आभार
जवाब देंहटाएंकाश बहुत चुभता है, काश...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंअपनी जुबां पर ,
जवाब देंहटाएंदो शब्द ही ले आती ।
अपने मन की कथा को ,
कोई तो रूप दे पाती ।
काश ..हुआ होता ऐसा ...अच्छी प्रस्तुति
nice poem
जवाब देंहटाएंअपर्णा जी
जवाब देंहटाएंअभिवादन !
काश बहुत भावनाप्रधान रचना है , आपकी अनुभूतियां उभर कर संवाद करतीं प्रतीत होती हैं -
जाने कितनी बार ,किया खुद पर अत्याचार ।
और आँखो से छीना ,स्वप्न देखने का अधिकार ।
… लेकिन
काश ! मै अपना भी कोई जहां में अस्तित्व बनाती ।
अपने नाम को भी, थोडा सम्मान दिलाती
ऐसा न कहें अपर्णाजी !
आपके लिए मुझ नाचीज़ के मन में तो बहुत सम्मान है …
और निस्संदेह आपको अपने गुणों के कारण सर्वत्र सम्मान मिलता है ।
आपकी बहुत सारी पुरानी पोस्ट्स देखी अभी ,
कितना अच्छा लिखती हैं आप !
… और छांदस रचनाओं में भी आप साधिकार श्रेष्ठ लिख रही हैं ,
यह बहुत सुखकर है मेरे लिए ।
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आप बहुत अच्छा लिखती है, ऐसा लग्ता है कि आप के हर्दय तल मैने कोइ खजाना छुपा है. बस् इस खजाने को इसी तरह बांट्ते रहे. बस पृभू से आपके लम्बे जीवन कि कामना करते हैं
जवाब देंहटाएंकाश अगर जीवन मैं न होता, तो शायद हर किसी का जीवन कुच और ही होता,काश मैने कुच ऐसा सोचा होता
काश मैने कुच वैसा सोचा होता
काश मैने जिन्दगी को जिन्दगी समझा होता
काश वक्त को मैने रेत समझा होता
काश रेत को मैने कसकर पकडा न होता
काश अपनी सफलतओ को मैने माला मैने पिरोया होता
काश डगर को मैने मन्जिल न समझा होता
काश हर निर्णय को लेने से पहले सोच होता
काश मैने जिन्दगी मैं काश ओ बुलाया न होता
तो जिन्दगी कुच और ही होती.
जिस दिन इन्सान इस काश की वेदनापुर्ण कशक से आजाद हो जायेगा, तो सच मैं उसका जीवन उसी दिन से सुन्दर बन जायेगा.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी अर्थपूर्ण पन्तियाँ है .......
जवाब देंहटाएं"अपना सब कुछ ,
ना करती अर्पण ।
तो शायद ना बिखरता ,
मेरा मन दर्पण ।
काश मै
अपना भी कोई ,
जहाँ में अस्तित्व बनाती ।
अपने नाम को भी ,
थोडा सम्मान दिलाती "
बहुत ही सुन्दर .........
@ DR DEEPAK
जवाब देंहटाएंकाश अगर जीवन मैं न होता, तो शायद हर किसी का जीवन कुच और ही होता,काश मैने कुच ऐसा सोचा होता
काश मैने कुच वैसा सोचा होता
काश मैने जिन्दगी को जिन्दगी समझा होता
काश वक्त को मैने रेत समझा होता
काश रेत को मैने कसकर पकडा न होता
काश अपनी सफलतओ को मैने माला मैने पिरोया होता
काश डगर को मैने मन्जिल न समझा होता
काश हर निर्णय को लेने से पहले सोच होता
काश मैने जिन्दगी मैं काश ओ बुलाया न होता
तो जिन्दगी कुच और ही होती.
जिस दिन इन्सान इस काश की वेदनापुर्ण कशक से आजाद हो जायेगा, तो सच मैं उसका जीवन उसी दिन से सुन्दर बन जायेगा.
kya comment hai
kaash......
mujhe bhi aise comment mile.......
marmik panktiyaa
hridayshparshee....
@ chhutki..
hai na aparna ji
aap kitna achchha likhtee hai .....
kabhi hamaare blog par padhare.....
काश शब्द मे कितना कुछ छुपा होता है और उसे आपने बेहद गहनता से महसूस करके लिखा है………………।एक बेहतरीन आत्म अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंजीवन के हर मोड पर ,
जवाब देंहटाएंचुप रही ना होती ।
अनगिनत ताड्नायें ,
सही ना होती ।
भावनाप्रधान रचना
काश... !
जवाब देंहटाएंस्वयं से वार्तालाप करती हुई
प्रभावशाली भावपूर्ण रचना .
शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया .
अपना सब कुछ ,ना करती अर्पण
जवाब देंहटाएंतो शायद ना बिखरता ,मेरा मन दर्पण
काश मै अपना भी कोई ,
जहाँ में अस्तित्व बनाती ।
एक जीवंत हृदय का जीवंत अन्तर्द्वन्द्व..सुन्दर
एक बेहतरीन आत्म अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंकाश शब्द की व्याख्या द्वारा आपने यह बताया है की,जिसने करी शर्म उसके फूटे कर्म.पहले ही यदि सोच कर कदम उठाया जाये तो बाद में न पछताना पड़े यही आपने कहा है.सम्यक है ,काश लोग इसी सन्दर्भ में लें भी तो ?
जवाब देंहटाएंखामोशी को ना ,
जवाब देंहटाएंसमझती मै आदर्श ।
किसी पल तो करती,
किसी से तर्क – वितर्क ।
काश मै
अपनी जुबां पर ,
दो शब्द ही ले आती ।
अपने मन की कथा को ,
कोई तो रूप दे पाती ।
काश …
सुंदर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंअपना सब कुछ ,
जवाब देंहटाएंना करती अर्पण ।
तो शायद ना बिखरता ,
मेरा मन दर्पण ।
अर्पण बिखराव का कारण तो नहीं होगा. शायद दर्पण ही बिखरने पर आमादा होगा.
सुन्दर भाव लिये अनुभूतियों को सजाया है
और इस काश के पीछे क्या था ......?
जवाब देंहटाएंक्यों नहीं कर पाई वो सब ....?
कलह से डरती थीं ...या समाज से ....?
इस काश के पीछ बहुत से कारण हैं अपर्णा जी .....
अभी waqt lagega .......
pryaas jari rakhein ........!!