बात कुछ भी हो ,उनका जिक्र हो ही जाता है ।
याद करने का बहाना बन ही जाता है ॥
वो भले हमसे कुछ कहे ,या खामोश रहे ।
नजरों से उनकी प्यार छलक ही जाता है ॥
राहें कितनी भी मुश्किल हो ,हौसले हो अगर ।
मंजिलों का पता राहों से निकल ही आता है ॥
लाख चाहें न किसी से ,हम मिलना तो क्या ।
जिनसे मिलना हो वो निगाहों में आ ही जाता है ॥
कोशिश करते हैं लाख ,खुश रहने की मगर ।
उदास दिल हो तो आसूँ छलक ही जाता है ॥
चाहे कितना भी संभल के ,कोई फूल चुने ।
कोई कितना भी बचे कांटा चुभ ही जाता है ॥
क्या होगा तकदीर पे ,रोने से रात दिन ।
हाथ की लकीरों को कोई मिटा नही पाता है ।।
... bahut khoob ... behatreen !!!
जवाब देंहटाएंक्या होगा तकदीर पे ,रोने से रात दिन ।
जवाब देंहटाएंहाथ की लकीरों को कोई मिटा नही पाता है ।।
अपर्णा जी हम हाथ की लकीरों के भरोसे तो नहीं बैठ सकते ना. अच्छी अभिव्यक्ति .
बहुत खूब... बस पीले रंग में लिखा समझ नहीं आया... कृपया दूसरे रंग के साथ पोस्ट करें...
जवाब देंहटाएंचाहे कितना भी संभल के ,कोई फूल चुने ।
जवाब देंहटाएंकोई कितना भी बचे कांटा चुभ ही जाता है ॥
प्रभावशाली पंक्तियां। बहुत खूब लिखा है आपने...बधाई।
राहें कितनी भी मुश्किल हो ,हौसले हो अगर ।
जवाब देंहटाएंमंजिलों का पता राहों से निकल ही आता है ॥
सौ आने सच...सुंदर रचना..बधाई
चाहे कितना भी संभल के ,कोई फूल चुने ।
जवाब देंहटाएंकोई कितना भी बचे कांटा चुभ ही जाता है ॥
खूबसूरत रचना ...
राहें कितनी भी मुश्किल हो ,हौसले हो अगर ।
जवाब देंहटाएंमंजिलों का पता राहों से निकल ही आता है ॥
बहुत खूब....सुंदर रचना
सुन्दर रचना ,
जवाब देंहटाएंसहमत हू इस कविता की पत्येक पंक्ति से
इस सुन्दर रचना के लिए आप को बधाई
अनमोल पलों को खोकर हम
जवाब देंहटाएंकुछ नश्वर चीजे पाते है
और उस पर मान जताते है
यह अभिमान छणिक है बंधू
समय का कौन ठिकाना है
जो मंगल गीत बना उसको
निश्चित मातम बन जाना है.
ज़िंदगी के तमाम पहलुओं को समेटती रचना ................
क्या होगा तकदीर पे ,रोने से रात दिन ।
जवाब देंहटाएंहाथ की लकीरों को कोई मिटा नही पाता है ।।
बहुत ही सत्य बात कहीं है आपने इन पंक्तियों के माध्यम से.
आपकी ये रचना बहुत अच्छी है.
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर आकार भी बहुत ख़ुशी हुई .
आपकी दूसरी पोस्ट भी पढ़ी ...बहुत उम्दा लिखती हैं आप.
आपको शुभकामनाएँ.......................
बहुत ही अच्छा लिखा है ...बधाई....
जवाब देंहटाएंbahoot hi pyari gazal...man ko chho gayee.... very nice
जवाब देंहटाएंजो यादो में,दिल की गहराइयो में,साँसों में बसा हो उसे हर पल हर छण हम अपने आस पास पाते है........अच्छी रचना !
जवाब देंहटाएं"वो भले हमसे कुछ कहे ,या खामोश रहे ।
जवाब देंहटाएंनजरों से उनकी प्यार छलक ही जाता है ॥"
पलाश जी, मालूम है ऐसा क्यों होता है,क्योंकि :-
ख़ामोशी भी ज़बान होती है.
कुँवर कुसुमेश
blog:kunwarkusumesh.blogspot.com
किसकी बात करें-आपकी प्रस्तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्ददायक हैं।
जवाब देंहटाएंआप हमारी पोस्ट पर आयी हमारी विरह वेदना पढ़ी..
जवाब देंहटाएंहमारी पीठ थपथपायी, हमारे दर्द को मरहम मिल गया ..
Thanks
ज़ोर आज़माते रहिये,
जवाब देंहटाएंधीरे-धीरे निखर जाओगे!
अपनों से बतियाते रहो,
नहीं तो बिखर जाओगे!!
अच्छा प्रयास है !
क्या होगा तकदीर पे ,रोने से रात दिन ।
जवाब देंहटाएंहाथ की लकीरों को कोई मिटा नही पाता है
lakin in hatho se bahut kuch sunder banaya ja sakata hai.
bahut sunder.
जो प्रारब्ध में है उसे अपने सद्कर्म द्वारा अशुभ को भी शुभ में बदला जा सकता है.वैसे सही भवव्यक्ति है.
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