जिस आँगन को लीपा बचपन से ,
हर दीवाली बनायी जहाँ रंगोली ।
जिसकी चौखट पर गेरू लगाया ,
और सजायी गुडिया की डोली ॥
माँ के आँचल मे सोयी और ,
खेली भी खूब मै जी भर ।
पर हर दिन एक बात सुनी ,
है परायी तू , नही है ये तेरा घर ॥
बचपन से जवानी की दहलीज तक ,
हर रात सजाती रही इक सपना ।
दिखता था मुझे जिसमें वो घर ,
जिसे कहती थी मै घर अपना ॥
आखिर वो दिन भी आया ,
जब बाबुल ने मेरा ब्याह रचाया ।
पर हुयी विदा तब माँ ने कहा,
जा बेटी अब पिया के घर ॥
सच ही कहा था माँ ने ,
वो भी घर नही था मेरा ।
कमी ना थी कोई लेकिन फिर भी ,
कही भी नाम नही था मेरा ॥
धीरे धीरे वक्त गुजरता रहा ,
और बढा मेरा परिवार ।
और हो गया था साथ में ,
मेरे अधिकारों का विस्तार ॥
समझने लगी थी अबतो मै ,
इस घर को अपना ।
मगर इक बार फिर ,
टूटा मेरा सपना ॥
बडा हो गया था बेटा ,
और शादी उसकी हो गयी थी ।
अपने ही घर में एक बार फिर ,
मै परायी हो गयी थी ॥
सारी उम्र तलाशती रही बस ,
मै इक अपना छोटा सा घर ।
मगर सदा ही मिली मुझे ,
बस सूनी सी लम्बी डगर ॥
खत्म होने को है अब तो आया ,
इस जीवन का सफर ।
कोई बता दे मुझको इतना ,
कहाँ है मेरा घर ??
कहाँ है मेरा घर ……………
दोनों घर तेरे है पगली जब जी चाहे जहा रहे
जवाब देंहटाएंदुहिता कहलाती है तू दोनों कुल का उद्धार करे
घर तो अपनों से होता है . ये दुबिधा वाली स्थिति सचमुच पीड़ा दायक होती है . आपने मनोभावों को एकदम सटीक शब्द दिये है , आभार .
जवाब देंहटाएंलडकियों का तो दोनों ही घर होता है चाहे वो मायका हो या ससुराल !तभी तो विवाह के पश्चात् अक्सर पति से विवाद होने पर स्त्रिया कहती है की मै मायके चली जाउंगी और यदि पति नाराज हो या दुखी हो तो वह कहा जाये क्योकि रहता तो है मायके में ही !और एक बात यदि बेटे के विवाह के बाद माँ से उसका घर छुटता है तो उसमे भी कही न कही बहु भी एक कारण होती है !वैसे आपकी रचना उम्दा है खासकर आप लेखनी की धनी है!दीपमाला पर्व की बहुत बहुत बधाई हो .............
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंपरिवार सदस्यों से और घर उन के बीच प्यार से बनता है . प्यार साथ रहने से बढ़ता है .जहा प्यार नही वहां घर कहाँ ?
आप की कविता सटीक तरीके से एक नारी की व्यथा को चित्रित करती है .
सारी उम्र तलाशती रही बस ,
जवाब देंहटाएंमै इक अपना छोटा सा घर ।
मगर सदा ही मिली मुझे ,
बस सूनी सी लम्बी डगर ॥
खत्म होने को है अब तो आया ,
इस जीवन का सफर ।
कोई बता दे मुझको इतना ,
कहाँ है मेरा घर ??
कहाँ है मेरा घर ……………
is ghumadte mann ko kaun jawab de ...bahut hi achhi rachna ... shubh diwali
सारी उम्र तलाशती रही बस ,
जवाब देंहटाएंमै इक अपना छोटा सा घर ।
मगर सदा ही मिली मुझे ,
बस सूनी सी लम्बी डगर ॥
Bahut sunder..... DIWALI KI SHUBHKAMNAYEN
दीपावली के इस पावन पर्व पर आप सभी को सहृदय ढेर सारी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसारी उम्र तलाशती रही बस ,
जवाब देंहटाएंमै इक अपना छोटा सा घर ।
मगर सदा ही मिली मुझे ,
बस सूनी सी लम्बी डगर ॥
waah ! umda prastuti
.
bahut hi achcha likha hai aapne
जवाब देंहटाएंplease keep writing
सुन्दर रचना। बधाई।आपको व आपके परिवार को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसारी उम्र तलाशती रही बस ,
जवाब देंहटाएंमै इक अपना छोटा सा घर ।
मगर सदा ही मिली मुझे ,
बस सूनी सी लम्बी डगर ॥
bahoot sahi kaha aapne..........very nice.
Nice post. thak you.please com on my
जवाब देंहटाएंblog and post a suitable commeny.