आधी रैना बीत गयी है
और बची है आधी रात ।
अब तो तोड के हर खामोशी
कह दो साथी मन की बात ॥
तेरी चंचल आखों की तिरछी
चितवन में छुपे हैं राज कई ।
तेरी पायल की छमछम में
बसते सरगम के राग कई ॥
अब तो परिभाषित कर दो
जो दिल में है तेरे जज्बात
आधी रैना ……………
तेरी खामोश निगाहों में
अपना बिम्ब मैं बुनता हूँ ।
तेरे दाडिम से अधरों से
खुद को ही मैं सुनता हूँ ॥
अब तो मरुभूमि से हदय पे
प्रीत की कर दो बरसात
आधी रैना……….
पलाश जी, बहुत खूबसूरत कविता कही है.............मन आनंदित हो गया.
जवाब देंहटाएंरचना बहुत सुन्दर है!
जवाब देंहटाएंलिखती रहोगी तो छंदों में भी निखार आता जाएगा!
बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंप्रेम की कोमल रचना।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखती हैं आप. यदि आप चाहें तो अमन के पैग़ाम के लिए भी कुछ लिख दें.
जवाब देंहटाएंदिल क़ी गहराई से लिखी गयी एक रचना , बधाई
जवाब देंहटाएंजरूरी नही कि मन की बात को कहने के लिए लबों का सहारा लेना पड़े। कभी कभी खामोशी वो सारी बातें कह जाती है जिसकी तलाश हमें लफ्जों में होती है। सुन्दर रचना। आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .. भावमय रचना
जवाब देंहटाएंइश्क में मन की बात कहां जुबां तक आती है पलाश.
जवाब देंहटाएंइश्क में तो आंखे ही मन की जुबां होती है पलाश.
दिल से लिखी रचना. आभार..
लोहड़ी, मकर संक्रान्ति एवं उत्तरायणी की हार्दिक बधाई एवं मंगल कामनाएँ!
जवाब देंहटाएं--
छत पर जाओ!
पतंग उड़ाओ!
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
जवाब देंहटाएंआपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"
जवाब देंहटाएंअब तो मरुभूमि से हदय पे
जवाब देंहटाएंप्रीत की कर दो बरसात
पलाश जी
आपकी कविता ....लाजबाब ...लेकिन मरुभूमि पर प्रीत की बरसात करने का आग्रह दिल को भा गया ..विनम्रता का भाव देखने योग्य है ....सुंदर प्रतुतिकरण ..शुक्रिया
बहुत सुन्दर रचना ....
जवाब देंहटाएंमकरसंक्रांति की शुभकामनायें
दिल क़ी गहराई से लिखी गयी एक रचना| बधाई|
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति..मकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर भावाभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुंदर ब्लॉग और बढ़िया रचना - शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंकोमल भवनाओं से पूर्ण सुन्दर प्रेम गीत..
जवाब देंहटाएंअब तो तोड के हर खामोशी
जवाब देंहटाएंकह दो साथी मन की बात ॥
बहुत सुन्दर रचना..........शुभकामनाएं
नये दशक का नया भारत ( भाग- २ ) : गरीबी कैसे मिटे ?
प्रेमानुभूति से लबरेज़ सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंअद्भुत....आप तो बहुत ही बढ़िया लिखती है....शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंआपके गीत गाने लायक हैं , गुनगनाने लायक है .साथी को मन की बात कहनी ही पड़ेगी.शुभ कामनाएं.
जवाब देंहटाएंमन बोल उठा सुनकर पुकार
जवाब देंहटाएंकवि ऋणी नहीं अपवादों का
जो करते हर फन में सुराग
मन ब्यथित हुआ अंतर स्वर से
बह गए अश्रु बन शब्द राग
काली गहराती रातों में जब
निद्रा ने आगोश भरा , बिरहिन की सूनी सेजों पे
जब अंगारों ने नृत्य किया , बिरहिन के आंशू बरस परे ,
तब कवि जी ने निज कविता से भावों की मधुर बरसात किया
उस एकाकी सूनी रैना में बरसा ,कविता से रस दुलार ........
अपर्णा जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गीत लिखा है … बधाई !
तेरे दाड़िम से अधरों पर
खुद को ही मै सुनता हूँ …
अब तो मरुभूमि से हदय पे
प्रीत की कर दो बरसात
आहाहाऽऽऽ ! बहुत मनभावन !
श्रेष्ठ गीत रचना के लिए हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bouth he blog..... nice word
जवाब देंहटाएंMusic Bol
Lyrics Mantra
आधी रैना बीत गयी है
जवाब देंहटाएंऔर बची है आधी रात ।
अब तो तोड के हर खामोशी
कह दो साथी मन की बात ...
मनभावन ... सुंदर ... प्रेम की कोमल अभिव्यक्ति है ये रचना ... आनंद आ गया ...
good one mam...
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