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बुधवार, 11 मई 2016

२१ वीं सदी में स्त्री की स्थिति का जिम्मेदार कौन?


हम औरते अक्सर बात करते हैं कि सदियों से मर्द औरतों पर अत्याचार करते आ रहे हैं। स्त्री को प्रताडित किया जा रहा है वगैरह वगैरह…… कभी किसी पुरुष को ये कहते नही सुना गया कि वो भी प्रताडित होता है। आखिर क्या है सच? समाज में आज जो भी स्थिति स्त्री की है क्या उसके लिये सिर्फ पुरुष ही जिम्मेदार है? क्या स्त्री खुद अपनी स्थिति के लिये जिम्मेदार नही?
चाहे एक पढी लिखी लडकी हो, या घरेलू लडकी, चाहे वो स्वयं अपना वर चुने या घर के सदस्य, उसके ख्वाबों में एक ऐसा लडका होता है जो उससे ज्यादा सक्षम हो, ज्यादा आत्मनिर्भर हो। क्यों चाहती है हमेशा अपने से ज्यादा? क्या उसे अपनी क्षमता पर भरोसा नही? क्यों वह समाज में यह बात गर्व से नही कह पाती कि उसे मात्र इक सच्चा और नेक जीवनसाथी चाहिये, उसे उसके स्टेटस, उसके सेलरी पैकेज, उसके बैंक बैलेंस से कोई लेना देना नही।
आदमी जानता है कि एक लडकी उसे तभी पसन्द करेगी जब वो उससे उच्च हो खास कर आर्थिक मामले में, और इसीलिये शेष जीवन वो गर्व करता है, तब स्त्री कहती है कि घर में उसकी उपेक्षा की जाती है। क्यों कोई माँ जब अपनी बहू खोजती है तो अपने पुत्र से ज्यादा योग्य लडकी को बहू के रूप में चुन नही पाती, वो चाहती है कि उसका बेटा किसी भी मामले में अपनी पत्नी से कम ना हो। यानि कि एक स्त्री दूसरी स्त्री को उच्च पदस्त नही देख सकती। एक स्त्री ही समाज मे उस लडकी के चाल चलन पर पहला प्रश्न उठाती है, जब वो काम करके घर देर से आती है या बाहर किसी पुरुष मित्र के साथ घूमती हुयी दिख जाती है। क्यों वह उस लडके के चरित्र पर कोई प्रश्न नही उठाती।
स्त्री दुखी हो तो वह रो सकती है मगर बेचारा पुरुष उसे तो समाज ने रोने का अधिकार भी नही दिया। पति से झगडा हो तो पत्नी का पहला हथियार होता है – मायके जाने की धमकी, मगर पति उसके पास क्या है?  एक आदमी जो रोज घर से बाहर काम के लिये जाता है, मेहनत करता है, कभी कभी साथ लाया हुआ टिफिन भी नही खा पाता, भाग भाग कर लोकल ट्रेन पकडता है, रास्ते में सोचता है कि जाते हुये अभी हुये भिन्डी टमाटर खरीदने है, और घर पहुँचते ही उससे कहा जाता है कि ये क्या आपसे तो ठीक से सब्जी भी नही लायी जाती, ज्रा सी चीज याद नही रहती, खुद से ये भी नही होता कि धनिया मिर्च भी लेते आते। मगर बेचारा आदमी घर की सुख शान्ति बनी रहने के लिये बस मुस्करा कर कह देता है – देवी जी कल ध्यान से लेता आऊंगा। चलो एक कप चाय बना दो।
और यही पुरुष अगर गलती से थकान के कारण या आफिस की परेशानी के कारण गुस्सा हो जाय तो फिर तो घर का माहौल देखने ही वाला होता है। निकल आते है सारे अचूक बाण तरकस से, मै दिन भर काम करती रहूँ, मरती रहूँ, और फिर ये गुस्सा भी देखूँ। चुप चाप पुरुष सुन ले तो बेहतर वरना तो रोना तय ही है। फिर कहाँ खाना कहाँ चाय।
क्यों हम नही समझ पाते पुरुष मन, उसकी परेशानियां, क्यों नही समझ पाते कि वो घर के लिये उतना ही करता है जितना हम स्त्रियां। बहुत सारी बातें है, जिन पर विचार करना होगा। पुरुष सदैव स्त्री को दबाता नही, उसको पूजता भी है, उसका उपकार भी मानता है। और कई बार स्त्री खुद को पुरुष से ऊपर देखने का साहस नही जुटा पाती। पुरुष मन चाहता है एक ऐसी स्त्री जो उसका सम्बल बने, मुश्किल समय में उसे धैर्य दे। हम स्त्रियों को अपने नजरिये में बदलाव लाना होगा। ये बदलाव ही हमारी मजबूत पहचान बनायेगा।  

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  2. प्रेरक प्रस्तुति

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  3. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 13/05/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (13-05-2016) को "कुछ कहने के लिये एक चेहरा होना जरूरी" (चर्चा अंक-2341) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. जी अब समय बदल चूकाहै तो नजरिया बदलना भी जरुरी है । पर अभी काफी समय लगेगा इस प्राचीन ढर्रे को बदलने में । ताली एक हाथ से नही बजती ।पहल स्त्री पुरुष दोनों को मिल कर करना होगा ।

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