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शुक्रवार, 6 मई 2016

मेरे महबूब


महबूब मेरे सांसों के रहते,  जुदा नही हो सकती हूँ
रूठ जाऊँ कुछ पल को, पर खफा नही हो सकती हूँ

चाहा तुमने मुझको, ये मुझपर है अहसान तेरा
साथ मेरी सांसो के जो, साथी है अहसास तेरा
तेरी आरजू न बन पाऊं, खता नही हो सकती हूँ

तुमसे रौशन मेरी राहें, तेरे दम से खुशियां मेरी
तेरी बाँहे, घर है मेरा, मुझमें बसती दुनिया मेरी
चिराग की मद्धिम लौ सी,ज़िया नही हो सकती हूँ

तेरे जैसी बन पाऊँ, कोशिश मै दिन रात करूँ
मेरा मकसद तेरी धडकन बन, मै तेरे साथ रहूँ
इल्म मुझे खामियों का, खुदा नही हो सकती हूँ

तकरार तुम्ही से है करनी, तुमसे ही मेरा इकरार
तेरे बिन जो पल बीते, हर उस लम्हे से इन्कार
करूं नादानियां ये मुंकिन, बेवफा नही हो सकती हूँ

महबूब मेरे सांसों के रहते,  जुदा नही हो सकती हूँ

रूठ जाऊँ कुछ पल को, पर खफा नही हो सकती हूँ

ज़िया---- रौशनी 

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