उम्र तो बस उम्र होती है
जितनी भी हो पूरी होती है
चाहे कह लो इसे अच्छी बुरी
चाहे समझो इसे छोटी बडी
इसमें जिन्दगी की उमीद होती है
उम्र तो बस उम्र होती है.......................
कोई काटता है कोई गुजारता है
कोई जीता है कोई संवारता है
सप्तसुरों से सजी सरगम होती है
उम्र तो बस उम्र होती है...........................
कौन माप सका अवधि इसकी
कौन रोक सका गति इसकी
चक्र पूर्ण कर ही नींद में खोती है
उम्र तो बस उम्र होती है........................
कोई जीता है इसे ख्वाबों में
कोई खोता है इसे यादों में
हर किसी की ये पहली प्रीत होती है
उम्र तो बस उम्र होती है.............................
न आधी, न अधूरी होती है
जितनी
भी हो पूरी होती है उम्र तो बस उम्र होती है.........................
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (24-08-2017) को "नमन तुम्हें हे सिद्धि विनायक" (चर्चा अंक 2706) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Very well expalind.
जवाब देंहटाएंकौन माप सका अवधि इसकी
जवाब देंहटाएंकौन रोक सका गति इसकी
चक्र पूर्ण कर ही नींद में खोती है
उम्र तो बस उम्र होती है
सही बात है !! प्रभावी शब्द लिखे हैं आपने अपर्णा जी