स्पर्श
जिसमें निहित है
निर्मांण की कल्पना
या विनाश का षणयंत्र
बराबर मात्रा में
स्पर्श
एक
ऐसा इन्टरफेस
जिसमें
इनपुट तो एक ही होता है
मगर
बदलते रहते हैं आउट्पुट
कभी
बन जाता है भक्ति
तो कभी
द्या
कभी
भर जाता है मन
स्नेह के भाव से
कभी
जग जाती है
सुषुप्त प्रेम की तॄष्णा
और
कभी
छटपटा
जाता है मन
जल
विहीन मीन सा
स्पर्श
एक
ऐसी शक्ति
जिसमें
जीवन भी है
और
मॄत्यु जितना भय भी
जो
रच सकता है प्रेम का महाकाव्य
या
बन सकता है विषैला सर्प
स्पर्श
जो
कभी तैरा जाता हैं
अनगिनत सपने
कभी कर देता है
हौसलों का संचार
थके मन में
थके मन में
कभी
बन जाता है
आशीष
और
कभी देता है आहट
किसी
अवांछनीय विनाश की
स्पर्श
कभी
बन जाता है
विश्वास
जीवन पर्यन्त साथ निभाने का
जीवन पर्यन्त साथ निभाने का
कभी
दे जाता है
अहसास
अहसास
जो
कहता है "मै
हूँ ना"
तुम
बस आगे बढो
स्पर्श
एक
ऐसा अक्षररहित शब्द
जो
कह देता है
हर
वो बात जिसे
कोटि
शब्द समूहों के युग्म भी नही कह पाते
स्पर्श
एक ऐसी पहेली
एक ऐसी पहेली
जिसे
सुलझा लेती है
स्त्री
क्षण
के न्यूनतम भाग जितने समय में
जान
लेती है
स्पर्श
करने वाले का
इतिहास
और
तय कर देती है
उसका
चैरित्रिक भूगोल
निश्चित
कर लेती है
दूरी
या निकटता
और रच
देती है अध्याय
सम्बन्धों
की सम्भावना या असम्भावना का
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14-09-17 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2727 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
Perfect and beautiful
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