अम्मा,
बाबू जी से कह दो न, मै शादी नही करना चाहता, मुझे अभी बहुत कुछ करना है, आपके लिये
बहू लाने को दीपक और अनुराग हैं न, एक मेरे शादी न करने से क्या फरक पड जायेगा।
मुझे
नही पता था कि कब बाबू जी दफ्तर से लौट कर आ गये थे और मेरी बात सुन रहे थे, ऐनक उतार
कर बोले- देखो बरखुरदार, ये शादी ना करने का भूत मुझे भी बहुत चढा था, पर जब तुम्हारी
अम्मा आयी तब समझ आया कि क्या गलती करने वाले थे। और जो करना वरना है उसके लिये हम
कहाँ रोकते हैं, करते रहना जो करना है, अभी हम हैं किसी बात की फिरक ना करो। बेटा,
राधिका बहुत अच्छी लडकी है, धन्य हो जायगा तू, अरे ऐसी लडकियां तो नसीब से मिलती हैं।
राधिका, बाबू जी के दफ्तर में काम करने वाले शुक्ला चाचा की बेटी थी, जाने क्या जादू
कर दिया था शुक्ला चाचा ने कि बस बाबू जी ने धुन रट रखी थी कि राधिका उनकी ही बहू और
मेरी ही पत्नी बनेगी।
मरता
क्या न करता, अम्मा बाबू जी की जिद के आगे मेरी एक न चली और महाशिवरात्रि के दिन मेरे
विवाह का शुभमहूर्त निकाल दिया गया।
शादी
के आठ दस रोज बाद ही मैने पूने जाने का निर्णय किया, वैसे पूने जाने का कोई विशेष कारण
नही था, किन्तु मै बस घर से दूर एकान्त में जाना चाहता था, जहाँ मैं संगीत को अपना
पूरा ध्यान और समय दे सकूं। अम्मा जानती थी कि मुझे संगीत से बेहद लगाव है किन्तु बाबू
जी वो तो इसको बिल्कुल बेकार की चीज समझते थे, और खास कर लडको के लिये। उनका मानना
था कि गाना बजाना केवल लडकियों औरतों को शोभा देता है। आदमियों को तो कोई मेहनत मसक्कत
या दिमाग वाले काम करने चाहिये।
पूने
जाकर खाने भर का तो मै दो चार ट्यूशन करके ही कमा लूंगा, और घर से दूर रहूंगा तो रोज
रोज कोई घर से आकर मेरे संगीत में बाधा नही दे सकेगा, ऐसा मेरा विचार था।
अम्मा
से झूठ बोल दिया था कि पूने से नौकरी का बुलावा आया है। इतनी दूर भेजने को बाबू जी
बिल्कुल राजी नही थे, मगर इस बार मैने जिद करने की ठान ली थी और फिर विवाह करके उनकी
बहुप्रतीक्षित इच्छा मै पूर्ण कर ही चुका था, सो भारी मन के साथ उन्होने अनुमति दी
मगर साथ में कह दिया कि बहू तुम्हारे साथ ही जायेगी। परदेश में जाने खाने पीने का कैसा
इन्तजाम हो, खर्चे की तुम चिन्ता ना करो, अभी हम हैं।
मेरा
हाल वैसा ही था कि आसमान से गिरे खजूर में अटके। एक बार फिर मेरे पास उनकी बात को न
मानने के सिवा कोई रास्ता नही था सो राधिका के साथ पूने चल दिया।
क्रमशः
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (08-09-2017) को "सत्यमेव जयते" (चर्चा अंक 2721) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’नीरजा - हीरोइन ऑफ हाईजैक और ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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