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शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

तुम्हारा एक शब्द............


तुम्हारा एक शब्द
पर्याप्त है जगाने को
खोया आत्मविश्वास
तुम्हारा एक शब्द
काफी है खो देने को
सारा विश्वास

तुम्हारा एक शब्द
खुशियों का
अन्नत भंडार 
तुम्हारा एक शब्द
कष्ट का
अन्तहीन संसार 

तुम्हारा एक शब्द
सुरीली सरगम का
सुमधुर राग
तुम्हारा एक शब्द
पांव में चुभी
नुकीली फांस

तुम्हारा एक शब्द
ले जाता कभी
विस्तॄत आकाश में
तुम्हारा एक शब्द
गिरा देता कभी
पथरीली राह में

तुम्हारा एक शब्द
प्राणों में
श्वास का संचार
तुम्हारा एक शब्द
मॄत्यु से
अंत का विचार

न सुलझ सकी
मुझसे ये पहेली
ये शक्ति है तुम्हारी
या सामर्थ्य शब्द की 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-11-2017) को
    "सच कहने में कहाँ भलाई" (चर्चा अंक 2786)
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  2. वाकइ एक शब्द की मह्त्ता पर आपने सुंदर स्र्जन किया है

    जवाब देंहटाएं

आपकी राय , आपके विचार अनमोल हैं
और लेखन को सुधारने के लिये आवश्यक

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