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गुरुवार, 12 अगस्त 2021

बवाल हो जायेगा

रही खामोश तो सवाल हो जायेगा

कही जो बात तो बवाल हो जायेगा

आंख नम हो तो छुपा लेना चश्मे में

दिखीं उदास, तो बवाल हो जायेगा

बात दिल की पन्नो पे उतारिये ना

पढेगें अपने तो बवाल हो जायेगा

पलट के सोच ना अब बीती बातों को

ख्वाब फिर लिपटे तो बवाल हो जायगा

जो भी सामने है, बस वही मंजिल तेरी

काश की आस में ,बवाल हो जायेगा

तकदीर के रास्ते, तेरी हथेली में पलाश

पकड मेहनत की बांहे, बवाल हो जायेगा

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 13 अगस्त 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सही ,सोच समझ फिर कर नहीं तो बवाल हो जाएगा।
    सुंदर सृजन।

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  3. आ जाए जो सलीक़ा और हुनर भी मन पढ़ने का,
    तो घर-मुहल्ले क्या,शहर भर में बवाल हो जाएगा .. बस यूँ ही ...

    जवाब देंहटाएं

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