रजनीगंधा खिली हुयी है
अब तो प्रियतम आ जाओ
चंदा भी सोने को है
अब तो प्रियतम आ जाओ.........
नील गगन के आँचल में
मस्त पवन की खुशबू ने
मिलकर पुष्प लताओं से
राग प्रीत का छेडा है
अब तो प्रियतम आ जाओ............
जुगुनु चमक रहे राहों में
भर लो आ कर बाहों में
बसा लो मेघ से लोचन में
जुदाई का डर सता रहा है
अब तो प्रियतम आ जाओ..............
हर एक पल अब शूल हुआ
मौसम भी प्रतिकूल हुआ
नश्तर सा हर फूल हुआ
सूरज भी आने को है
अब तो प्रियतम आ जाओ ...............
अरे वाह...
जवाब देंहटाएंइसका तो गाना बन जायेगा...गाया भी जा सकता है...
बहुत खूब, अब तो आप फिल्मों में ट्राई कर ही लें...
बहुत सुन्दर कविता....
वाह, क्या बात है!
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता है .
सुंदर रचना इस प्यार भरी गुहार को सुनकर प्रियतम अवश्य आयेंगे .........
जवाब देंहटाएंपांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
जवाब देंहटाएंप्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा।
मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता
दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।
या हादी
(ऐ सच्चा रास्ता दिखाने वाले)
या रहीम
(ऐ हर परेशानी में दया करने वाले)
आइये हमारे ब्लॉग पर और पढ़िए एक छोटी सी पुस्तक
{आप की अमानत आपकी सेवा में}
इस पुस्तक को पढ़ कर
पांच लाख से भी जियादा लोग
फायदा उठा चुके हैं ब्लॉग का पता है aapkiamanat.blogspotcom
अहा, आनन्द आ गया। बहुत दिन हुये इतनी सरल और सघन कविता पढ़े।
जवाब देंहटाएं@Thakur M.Islam Vinay
जवाब देंहटाएंये नीम हकीमो वाली दूकान किसी फुटपाथ या नुक्कड़ पर खोल कर बैठ जाओ तो शायद कुछ लोगो को बेवकूफ बना भी लो. यहाँ पर आप की स्कैनिंग हो चुकी है . मेरे ब्लॉग पर फिर कभी ऐसे कमेन्ट न करना जो रचना से सम्बंधित ना हो , यह स्थान विज्ञापन के लिए नहीं है . यदि और कोई बात कहनी हो तो मै एक पता दे रही हूँ वह पर जा कर लिखो शायद अकल आ जाये.
pachhuapawan.blogspot.com
एक बार अवश्य मिले इनसे
धन्यवाद
रात का चाँद क्या है , चांदनी आसमान क्या है , गेशुवो के फूल क्या कहते ,जो होती भूल क्या है ,
जवाब देंहटाएंपहेली पहेली ही रही ,रजनी गंधा महकती ही रही ,मन में बसी छबि कहती रही ....वो आयेंगे .........
रात का चाँद क्या है , चांदनी आसमान क्या है , गेशुवो के फूल क्या कहते ,जो होती भूल क्या है ,
जवाब देंहटाएंपहेली पहेली ही रही ,रजनी गंधा महकती ही रही ,मन में बसी छबि कहती रही ....वो आयेंगे .........
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (16/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
वाह!! एक उम्दा रचना.
जवाब देंहटाएंशब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।
जवाब देंहटाएंअपर्णा जी...... बहुत ही प्यारे एहसाह भरे है इस गीत ग़ज़
जवाब देंहटाएंअपर्णा जी...... बहुत ही प्यारे एहसाह भरे है इस गीत में... सुंदर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंहर एक पल अब शूल हुआ
जवाब देंहटाएंमौसम कुछ प्रतिकूल हुआ
नश्तर सा हर फूल हुआ
बहुत सुन्दर और सरल कविता!
avashya poori ho sadechchha...
जवाब देंहटाएं:) kavita ke bhaav sundar hain..
जवाब देंहटाएंBahut hi achi rachna hai. I really enjoyed it
जवाब देंहटाएंवन्दना जी मेरी रचना को चर्चा मंच पर लाने के लिये आपका शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंवेचैन दर्द..
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गीत ..
जवाब देंहटाएंआज के भेड़ चाल में ऐसी ही निर्दोष और सरल मन से निकली रचनाओं से शायद इंसान रोबोट बनने से रुक सकता है
जवाब देंहटाएंआगे भी ऐसी ही रचनाये पढने को मिले
ठाकुर इसलाम को सही पता दिया है...........
हर एक पल अब शूल हुआ
जवाब देंहटाएंमौसम कुछ प्रतिकूल हुआ
नश्तर सा हर फूल हुआ
सूरज भी आने को है
अब तो प्रियतम आ जाओ .
--
बहुत ही बेहतरीन रचना है!
बहुत खुब प्रस्तुति.........मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित...आज की रचना "प्रभु तुमको तो आकर" साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवाद
जवाब देंहटाएंदिल को छू लेने वाली प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंभावमयी सुन्दर गीत !!!!
एक सुझाव है..
जवाब देंहटाएंहर एक पल अब शूल हुआ
मौसम कुछ प्रतिकूल हुआ
यहाँ
हर एक पल अब शूल हुआ
मौसम "भी" प्रतिकूल हुआ ..लिखेंगे तो मुझे लगता है बातों का वजन और बढ़ जायेगा...
'कुछ' से शूल उतना तीक्षण नहीं लग रहा...
sundar!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना है|
जवाब देंहटाएंआपका ब्लाग "पलाश" का प्रयास अच्छा है मैं आपके ब्लाग को फालो कर रहा हूँ ।
जवाब देंहटाएंरंजना जी हमे बेहद खुशी है कि आपने अपना सुझाव दिया । हम आपके सुझाव का सम्मान करते हैं ।
जवाब देंहटाएंbahut sundar likha hai...
जवाब देंहटाएंaise hi likhti rahiye....
सुंदर रचना .........
जवाब देंहटाएंहर एक पल अब शूल हुआ
जवाब देंहटाएंमौसम भी प्रतिकूल हुआ
नश्तर सा हर फूल हुआ
सूरज भी आने को है
अब तो प्रियतम आ जाओ
खूबसूरत भावपूर्ण गीत जो अपने प्रवाह में बहा लेजाता है..
कविता तो कविता , उस पर रंजना जी का सुझाव , दोनों से गुजरना अच्छा रहा ! आपका सुझावों को सकारात्मक तौर पर लेना और भी महत्वपूर्ण है !
जवाब देंहटाएं@ जुगुनु चमक रहे राहों में
भर लो आ कर के बाहों में
हमे छुपा ले निगाहो में
जुदाई का डर सता रहा है
अब तो प्रियतम आ जाओ..............
--- 'हमे छुपा ले निगाहो में' - यह पंक्ति लय प्रक्रिया में बैठ नहीं रही है , शायद , आप कुछ बार पढ़ कर महसूस कीजिये , या हो सकता है मैं ही गलत होऊं ! पर मुझे खटका ! और यह भी कि 'भर लो' की शैली एकाएक 'छुपा ले' के विधान को कैसे आत्मसात कर सकेगी ??
अउर
अपनी भाखा मा यक रचना तुम्हरे पढ़े जाय के इंतिजार मा है . वही बिलाग पै . कविता ज्योत्स्ना जी लिखिन हैं , प्यारी कविता है , आपन राय-सुझाव दिहिउ , इंतिजार रहे ! सादर !
aap ki kavita ne kahi dil ki gahrahio tak ek akale insaan ke dard ko bayan kia hi aap mahan ho!
जवाब देंहटाएंक्या गीत लिखा है दी !! इतना सहज, इतना सरल, इतना मासूम जैसे कि प्यार ने स्वयं को गीत में ढाल लिया हो !! इससे बेहतरीन प्रेमाभिव्यक्ति शायद ही संभव हो !! कृष्ण की बांसुरी सा मीठा है ये गीत !!
जवाब देंहटाएंitni sundar bhav bhini rachna..
जवाब देंहटाएंparhkar maja aa gaya..