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सोमवार, 10 जनवरी 2011

अश्क

कभी आँखो में सूख गये ,कभी नैनों से छलक गये ।

बिन बोले ही अक्सर ये , राज दिल के कह गये  


खुशी में नम जब आँख हुयी ,जज्बातों की सौगात  हुयी ।

रिश्तों की तपती गर्मी में, दो बूँदें सावन की बरसात हुयी ॥


कई बार जब दिल रोया, पर आँख मे ना इक आँसू आया ।

सूखे अश्कों  ने दिल में बस,  अकेलेपन मे साथ निभाया ॥


अश्क सदा तो बहते नही ,दिल मे भी अक्सर बसते है ।

चीख चीख कर ही नही ,खामोशी से भी तो कहते है ॥


अश्क सा सच्चा साथी ,मुश्किल से किसी को मिलता है ।

जो हमारी खुशी मे हँसता है, और गम में मिल कर रोता है ॥


हर एक अश्क की अपनी एक दास्ता होती है ।

कभी बिछडने पर तो कभी मिलन पर रोती है ॥

ये अश्क जो चित्र में है ये खुशी का है या गम का ,
ये जुदाई के दर्द का है या मिलन की खुशी का ।
ये टीस है दिल की या या महज बूँद है पानी की ,
 ये सवाल प्रतीक्षा कर रहा है आपके जवाब का ॥






28 टिप्‍पणियां:

  1. मुकेश का गाया हुआ एक गीत याद आ रहा है...
    मैं खुश हूँ मेरे आंसूओं पे न जाना....
    इसी गाने में एक अंतरा था..
    ख़ुशी में भी आँखें भिगोते हैं आंसू...

    आपकी भी ये नज़्म बहुत खुबसूरत बन पड़ी है.....

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  2. बहुत ही अच्छी कविता
    चित्र में आंसू खुशी के है या गम के मैं तो नही बता सकता क्यों की आंसू नही बताते की वो खुशी के है या गम के वो तो बस बह जाते है .

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  3. प्रिय अपर्णा जी त्रिपाठी "पलाश"
    सस्नेहाभिवादन !

    अश्क़ शीर्षक से अच्छे विचारों भावों को पिरोया है , बधाई और आभार !

    आपको समर्पित है मेरी एक रचना का यह अंश -

    दूसरों के अश्क… अपनी आंख से बहने भी दे !
    अपने दिल को… दूसरों के दर्द तू सहने भी दे !
    दुनिया दीवाना कहे… तुझको , तू मत परवाह कर ;
    रास्ते अपने तू चल… कहते , उन्हें कहने भी दे !!


    ~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  4. अश्कों के खारेपन में एक पूरी कहानी छिपी होती है।

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  5. बहुत सुंदर अर्पिता जी ..
    कोई साथ दे ना दे ..ये आंशु ज़रूर साथ देते है

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  6. बहुत सुंदर अर्पिता जी ..
    कोई साथ दे ना दे ..ये आंशु ज़रूर साथ देते है

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  7. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति. आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. खुशी में नम जब आँख हुयी ,जज्बातों की सौगात हुयी ।
    रिश्तों की तपती गर्मी में, दो बूँदें सावन की बरसात हुयी ॥
    अश्क तो अश्क हैं ये हर अवसर पर आ टपकते हैं

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  9. अश्क आने के कई कारण होते हैं ....और यह आपने बखूबी कहा है अपनी इस नज़्म में

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  10. बहुत ही उम्दा नज़्म लिखी है आपने!

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  11. मेरी एक रचना है जो बहुत जल्द ही ब्लाग पर आएगी। उसमें एक लाईन है
    ऑंसुओ के भी कई रूप होते है, हम खुश हैं इसलिए तो रोते है। अश्क तो अश्क है इनका क्या ऑखों मे आ ही जाते है। चाहे खुशी हो या गम।

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  12. आदरणीय अपर्णा जी
    नमस्कार !
    बहुत उम्दा शब्‍दों के साथ बेहतरीन रचना ।

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  13. ...खूबसूरत तारीफ़ के लिए शब्द कम पड़ गए..

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  14. हर एक अश्क की अपनी एक दास्ता होती है ।

    कभी बिछडने पर तो कभी मिलन पर रोती है ॥

    सही एकदम सही

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  15. बेहद भावपूर्ण व मार्मिक रचना ...... सुंदर प्रस्तुति.
    .
    सृजन - शिखर

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  16. अश्रु की अभिव्यक्ति!! सुंदर भावयुक्त!!

    एक गीत है………

    ये आंसु मेरे दिल की जुबां है।
    मैं रोउं तो रो दे आंसु
    मैं हंस दुं तो हंस दे आंसु

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  17. मुझे तो रहीम कवि का दोहा याद आता है... आंसुओं के बारे में.. बहरहाल कविता में भाव अच्छे हैं..

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  18. अश्‍‍क, कभी शब्‍द खो कर, कभी शब्‍द बन कर.

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  19. अश्क सच मे सबसे सच्चा साथी है, जो ख़ुशी और ग़म दोनों में साथ देते हैं।
    जहां तक चित्र वाले अश्क की बात है, तो ये ग़म ही लगते हैं, ख़ुशी के आंसू तो धर से बह जाते है,
    ग़म के पलको पर ही रह जाते हैं।

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  20. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति. आभार

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  21. हर एक अश्क की अपनी एक दास्ता होती है ।
    कभी बिछडने पर तो कभी मिलन पर रोती है ॥
    सच है ..और यही दास्ताँ जिन्दगी का पड़ाव बन जाती है ,,हर एक शेर लाजबाब है क्या कहें ...बहुत बढ़िया अंदाज ...शुक्रिया

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  22. हर आँसू की अपनी कहानी है।
    सुन्दर भावपुर्ण रचना

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  23. यह बात ठीक रही कि अश्क साथ देता है , दुःख में पसीजकर और सुख में नहलाकर !

    रही बात चित्र के बूँद की तो अनुमान यही कह रहा कि यह नेत्र के अन्दर से निकला पानी नहीं है नहीं तो नेत्रों की कोर लिए हुए होता , यह बाहर के पानी की बूँद है जो नहाने पर या बरसात के समय बरौनी पर रुकी हो !

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  24. जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

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  25. जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

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