तुम नहीं आये लो, इक
बार फिर
रही कसम अधूरी, इक
बार फिर
सुन लेंगें कोई, नई
मजबूरी तेरी
समझा लेंगें दिल, इक
बार फिर
खुशियां ही दो तुम,
जरूरी नहीं
थोडा सिसक लेंगें,
इक बार फिर
की कोशिशें कई, न करें
शिकायतें
कर बैठे शिकवे मगर, इक
बार फिर
तेरी छुअन का जादू
चला हम पर
खिल के फूल हुये, इक
बार फिर
सोचकर बैठे थे, ना
मानेगी पलाश
तेरी बातों में उलझे, इक
बार फिर
बहुत सिन्दर और सार्थक गीतिका।
जवाब देंहटाएंयही होता है । बातों में ही आ जाते हर बार ।
जवाब देंहटाएंये विरह भी क्या है ।
खूबसूरती से लिखे भाव ।
बहुत सुन्दर
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