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सोमवार, 15 मार्च 2021

रात भर

 


क्या जगाकर हमें वो, सो सकेगा रात भर

शमा बुझ गई अंधेरा अब, जगेगा रात भर

कर सका ना हौसल वो, कहने का हाले दिल

महफ़िल में ख्वाबों की अब, कहेगा रात भर

करी कोशिशें मना सका ना, रुठे सनम को

कदम भर की जुदाई ये दिल, सहेगा रात भर

मसरूफ हो किसी तरह, ये दिन गुजरा है

तनहाइयों का बिच्छू अब, डसेगा रात भर

क्यूं न एतबार किया दिलबर की बात का

अफसोस औ मलाल दिल करेगा रात भर

हर बात पहली मुलाकात की, याद आयेगी

सुबह की बाट देखता, अब रहेगा रात भर

 मगरूर हो, ना रोका जरा, जाते पलाश को

खत ना जाने कितने अब, लिखेगा रात भर


11 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 17 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत खूब। ढेरों शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं

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