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शनिवार, 20 मार्च 2021

बना दिया

मस्त निगाहों ने दिल, मस्ताना बना दिया

हमें साकी औ खुद को मैखाना बना दिया  

वो दूर का चांद सही, दूसरा जहान सही

उसे पाने को जीने का, बहाना बना दिया

 ढली उम्र तो, कई रिश्ते नाते भी ढल गये

हमें किताब से, अखबार पुराना बना दिया

 ज़रा सा क्या दूर गये, उनके शहर से हम

अंजान को अपना, हमें बेगाना बना दिया

 जल रहा था रेत सा, ये दिल इश्क़ के बगैर

उनकी दस्तक ने समां, सुहाना बना दिया

 ये बचपन का हुनर है, या मासूमियत उसकी

टूटे हुए डिब्बों को मंहगा, ख़ज़ाना बना दिया

 हमने यूं ही मजाक में, कुछ उनसे कह दिया

ज़रा सी बात का लोगों ने फ़साना बना दिया

 दिले मासूम बेखबर था, तबियत मोहब्बत से

हकीम इश्क़ ने पलाश को दीवाना बना दिया

5 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. बहुत सुन्दर गीतिका।
    मनोभावों की गहन अभिव्यक्ति।

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  3. मस्त निगाहों ने दिल, मस्ताना बना दिया
    हमें साकी औ खुद को मैखाना बना दिया

    अब और क्या चाहिए ?

    यूँ ही मदमस्त रहिये ... सुन्दर अभिव्यक्ति

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