ना तुमसे थे
सम्बंध रुधिर के
ना तुमसे रिश्ते
जाति धर्म के
फिर भी तुझमे
मेने पाये
अंश अपनी
आत्मा के
कितनी भी दूर
गये हम तुमसे
सदा ह्रदय के
पास ही पाया
जीवन की
काली रातों में 
इक तूने ही मेरा
साथ निभाया
 मुझे याद है
वो दिन अब भी
जब मैने नौकरी
पायी थी
और भूल के अपनी
असफलता तुमने
मेरे संग दिल से
ढेरो खुशी मनायी थी 
वो सच्चा स्नेह तुम्हारा
याद जब जब आता है
आँखे नम हो जाती हैं
सीना चौडा हो जाता है 
मुझे गर्व कि
मुझको तुमसा
मित्र मिला 
इस जीवन में
मुश्किलों का डर ना
मेरे मन में
जब साथ तेरा 
इस जीवन में 




