फूलों से इश्क तो बहुत किया
अब काँटों से मोहब्बत की जाय ।
चाँदनी रात के आँचल में
सूरज की चाहत की जाय ॥
अल्लाह के सच्चे बन्दों की भी
कुछ देर इबादत की जाय ।
औरों को तो कह लिया बहुत
अब खुद से खुद की शिकायत की जाय ॥
जो कुछ पल की राहत दें
कुछ ऐसी शरारत की जाय ।
जैसी आजाद भगत ने की
वैसी एक और बगावत की जाय ॥
दुनियादारी की अदालत में
कुछ हंसी गुनाहों की वकालत की जाय |
बहुत हुआ जाना इतिहास की गलियों में
ऐतिहासिक बन जाने की हिमाकत की जाय ||
फूलों से इश्क तो बहुत किया
अब काँटों से मोहब्बत की जाय ……………
बहुत अच्छा बधाई.
जवाब देंहटाएंजो कुछ पल की राहत दें
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसी शरारत की जाय ।
जैसी आजाद भगत ने की
वैसी एक और बगावत की जाय ॥
वाह .....बहुत खूब.....!!
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
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