कुछ ख्वाब अधूरे हों पूरे,
कुछ नयी उम्मीदें पलें दामन में
कुछ बिगडी बाते बन जायें,
कुछ नये रिश्ते महके आंगन में
कुछ दर्द दिलों के राहत पायें,
कुछ प्रीत बिखरे आंचल में
कडवाहट कम हो नफरत की,
कुछ नये स्वर निकलें फिर पायल से
कुछ यूं आये नव वर्ष की सुबह,
जैसे नव वधू उतरी हो आंगन में
मन झूम उठे यूं खुशियों से,
जैसे मोर नांच उठता है सावन में
नूतन वर्ष का हर पल शुभ हो,
इतनी सी अभिलाषा है, इस दिल में
सुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंआपको भी नए साल 2015 की बहुत बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!
नूतन वर्षाभिनन्दन.....आपकी लिखी रचना शनिवार 03 जनवरी 2015 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (03-01-2015) को "नया साल कुछ नये सवाल" (चर्चा-1847) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जवाब देंहटाएंकुछ यूं आये नव वर्ष की सुबह,
जैसे नव वधू उतरी हो आंगन में
मन झूम उठे यूं खुशियों से,
जैसे मोर नांच उठता है सावन में
...............अरे वाह शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने अपर्णा जी
आपको और पूरे परिवार को नए साल की बहुत बहुत हार्दिक मंगलकामनाएं!
बढ़िया
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये
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