आजकल बात कोई, बुरी लगती नही
धूप का मौसम भी, भला लगने लगा
रात हो दिन हो, या हो कोई भी पहर
रंग चेहरे का, गुलाबी सा लगने लगा
था कल तलक जो अजनबी अंजाना
हमको साया, वो मेरा लगने लगा
कुछ हुआ है मुझे, क्या मेरा हाल है
आइना भी ये हमसे, कहने लगा
खो गयीं हैं कहीं, तनहा तन्हाइयां
हर घडी तू मेरे साथ चलने लगा
नजरे मिली, सुकूं वो मेरा ले गया
कोई जादूगर सा तू लगने लगा
बरसों गुजरें है मेरे, वीरानियों में
अब मुकद्दर हमारा सवंरने लगा
सजदा करने लगे, उनका हर घडी
वो खुदा मुझको मेरा लगने लगा
जब से पाया तुझे, ये यकीं हो चला
दुआओं का असर हमको दिखने लगा
सुन्दर ... मन के भाव उड़ेल दिए हैं ..
जवाब देंहटाएंबरसों गुजरें है मेरे, वीरानियों में
जवाब देंहटाएंअब मुकद्दर हमारा सवंरने लगा
सजदा करने लगे, उनका हर घडी
वो खुदा मुझको मेरा लगने लगा
बहुत बढ़िया अपर्णा जी