किस तरह तुमसे
कहे, मेरे जीने का सहारा तुम हो
प्यार महसूस किया
जब दिल ने, वो इशारा तुम हो
देख कर तुमको नजरे
ठहर गयी तो हम क्या करे
धडकने तेरे नाम
से रुकने लगी तो हम क्या करे
जला रहा है जो
इस तन मन को वो शरारा तुम हो
प्यार महसूस किया
जब दिल ने, वो इशारा तुम हो
तुम मेरे दिल में
समा जाओ जैसे जिस्म में रुह बसे
मुझमें मिल जाओ
कुछ यूं जैसे खुशबू फूलों मे बसे
हर तरफ छाया है
इन नजरों में, वो नजारा तुम हो
प्यार महसूस किया
जब दिल ने, वो इशारा तुम हो
जाडे की गुनगुनी
धूप सी राहत मिले जब देखूं तुमको
एक हलचल सी उठ
जाये जिया में, जब सोचूं तुमको
थके कदमों को जहाँ
आराम मिले, वो सहारा तुम हो
प्यार महसूस किया
जब दिल ने, वो इशारा तुम हो
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