दे सकते है तुम्हे क्या, दिल लेके हम तुम्हारा
आज अपनी तमाम सांसे, तेरे नाम मै करती
हूँ
इक बात अब तलक जो, तुमसे भी छुपाई है
कहती हूँ आज सबसे, तुमसे प्यार मै करती
हूँ
पायल गहने कंगन मोती, सब झूठे से लगे
है
अंखियों में ना रुके है , ये काजल भी अब तो
सोचती रहती हूँ हर पल बस, तेरे ही बारे
मे
दर्पन मे तुम्ही तुम नजर आने लगे हो हमको
तेरी बेसब्र मोहब्बत का ही मै सिंगार
करती हूँ
कहती हूँ आज सबसे, तुमसे प्यार मै करती
हूँ
तुम पर ही जिन्दगी की, हर आस अब टिकी है
ना हो यकी जो हम पर, तो पूँछ लो मौसम
से
परवाह नही हमको बेदर्द दुनिया की रस्मों
की
मर जायेगे बिन तेरे , हम कहते है ये कसम
से
दिन रात शामो सुबह तेरा इन्तजार मै करती
हूँ
कहती हूँ आज सबसे, तुमसे प्यार मै करती
हूँ
ना जाने क्या देखा, क्या पाया तेरी
आंखों मे
फिर दिल ही ना चाहा, देखूँ और कोई
सूरत
बरसों से थी तमन्ना इस दिल मे कोई
आये
मिल कर लगा तुम्ही हो मेरे प्यार की
मूरत
तन मन से तुम्हे अपना, स्वीकार मै करती
हूँ
कहती हूँ आज सबसे, तुमसे प्यार मै करती
हूँ
आज अपनी तमाम सांसे, तेरे नाम मै करती हूँ
कहती हूँ आज सबसे, तुमसे प्यार मै करती हूँ
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
बेहद सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंप्रेम के शाश्वत स्वरूप की महीन अनुभूति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
आभार
खूबसूरत रचना :)
जवाब देंहटाएंतुम पर ही जिन्दगी की, हर आस अब टिकी है
जवाब देंहटाएंना हो यकी जो हम पर, तो पूँछ लो मौसम से
परवाह नही हमको बेदर्द दुनिया की रस्मों की
मर जायेगे बिन तेरे , हम कहते है ये कसम से
दिन रात शामो सुबह तेरा इन्तजार मै करती हूँ
कहती हूँ आज सबसे, तुमसे प्यार मै करती हूँ
सुन्दर गीत अपर्णा जी
बहुत खूब, सुंदर रचना।
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