नामुंकिन
सा हुआ जबसे आना, मेरे हाथ मे हाथ तेरा
तेरे अहसास
बसते है जर्द हथेली पे, लकीर बन कर
नही किस्मत
में देख पाना अब तो, सूरत भी तेरी
कि हर शक्ल में उभर आते हो तुम, तस्वीर बन कर
यूं तो
तन्हाइयां संग रहती है, जिन्दगी के सफर में
तुम भी
साथ हो लेते हो राहों में, मेरी तकदीर बनकर
कभी हम भी हुआ करते है , मल्ल्किका - ए- नूरजहाँ
अब तो खाते हैं ठोकरे दर-ब-दर, इक फकीर बनकर
इस जमाने
में मोहब्बत, भरम के सिवा कुछ् नही
जज्बात
नीलाम कर देते हैं लोग झूठे करीब बनकर
जाने कैसे कर बैठी, दिल लगाने की खता, तुम 'पलाश'
निकला वो
रकीब जो आया था, कभी नसीब बनकर
बहुत ही खूबसूरती से दर्द बयां किया है बिलकुल सटीक
जवाब देंहटाएंखूबसूरत
जवाब देंहटाएं...वाह। बेहतरीन पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंयूं तो तन्हाइयां संग रहती है, जिन्दगी के सफर में
जवाब देंहटाएंतुम भी साथ हो लेते हो राहों में, मेरी तकदीर बनकर
कभी हम भी हुआ करते है , मल्ल्किका - ए- नूरजहाँ
अब तो खाते हैं ठोकरे दर-ब-दर, इक फकीर बनकर
इस जमाने में मोहब्बत, भरम के सिवा कुछ् नही
जज्बात नीलाम कर देते हैं लोग झूठे करीब बनकर
क्या बात है ! खूबसूरत पंक्तियाँ अपर्णा जी