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मंगलवार, 12 मई 2015

सिर्फ हाथों में हाथ..........


सिर्फ हाथों में हाथ, साथ की कहानी नही
खिलते होठ सदा, खुशी की निशानी नही

कुछ तो बात है, मोहब्बत के समन्दर में
यूं ही सारी दुनिया,  इसकी दीवानी नही

गम से दो चार ना हुये, तो जिन्दगी कैसी
जो खतरों से बच के चले, वो जवानी नही

रूठते हो तो रूठ जाओ, ये अदायें है तेरी
ये इश्क आग का दरिया है, सर्द पानी नही

हाले दिल लबों से कहा, तो तुमने क्या सुना
खामोश धडकनों मे क्या, इश्क की रवानी नही

आरजू मोहब्बत की है, तो सिर्फ दिल की सुनिये
ये अनमोल इनायत है , इसका कोई सानी नही

9 टिप्‍पणियां:

  1. आरजू दिल की अपनी किसी से क्या कहिये

    दिल्लगी करके लोग अफसाना बना देते हैँ

    खूबसूरत अल्फाजोँ से सजी नज्म के लिये बधाई

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  2. हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई

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  3. भाव और शब्दों का सुन्दर सामंजस्य ,सुन्दर रचना
    हक़–ओ-इन्साफ़

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  4. लाजवाब शेरोन से सजी ग़ज़ल ... बहुत उम्दा शेर हैं सभी ...

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  5. "ये अनमोल इनायत है , इसका कोई सानी नही"
    बहुत खूबसूरत रचना। बधाई ...

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  6. रूठते हो तो रूठ जाओ, ये अदायें है तेरी
    ये इश्क आग का दरिया है, सर्द पानी नही

    हाले दिल लबों से कहा, तो तुमने क्या सुना
    खामोश धडकनों मे क्या, इश्क की रवानी नही
    सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने अपर्णा जी

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  7. हाले दिल लबों से कहा, तो तुमने क्या सुना
    खामोश धडकनों मे क्या, इश्क की रवानी नही
    ...........सुन्दर ग़ज़ल :)

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