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बुधवार, 19 जुलाई 2017

कुछ लोग, कुछ लोग कहते हैं.......................


कुछ लोग, कुछ लोग कहते हैं
मुझे मुल्क से मोहब्बत नही
कि मै जुबां पर हिन्दी
दिल में उर्दू रखता हूँ

कुछ लोग, कुछ लोग कहते हैं
मुझे मजहब का इल्म नही
कि मै अपने घर में
गीता औ कुरान रखता हूँ

कुछ लोग, कुछ लोग कहते हैं
मुझे जीने का सऊर नही
कि मै राम औ रहमान में
कोई फर्क नही रखता हूँ

कुछ लोग, कुछ लोग कहते हैं
बन गया हूँ मै काफिर पूरा
कि मै आंगन में अपने
बकरी औ गाय रखता हूँ

कुछ लोग, कुछ लोग कहते हैं
न मिलेगी जन्नत मुझको
कि मै नाम औलाद का
कासिम नही कन्हाई रखता हूँ

मै भी कुछ कहता नही 
सिर्फ सुन लेता हूँ
नवाबी ढंग से जीता हूँ
पर लोगो का अदब रखता हूँ

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत
    दिल को छूती रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. काफिर को स्वर्ग कहां मिलता है....लोगो तो कहते हैं, कहते रहेंगे

    जवाब देंहटाएं
  3. @ पर लोगो का अदब रखता हूँ...........उनका क्या ! वे तो कहते ही रहेंगे

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Gagan ji, Moderation is attached to avoid the unwanted comments and to make sure the respect on blog. Once after reading the comments I accept all the healthy comments.

      हटाएं

  4. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 21 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (21-07-2017) को "जब-जब ये सावन आता है" चर्चा - 2673 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ख़ूब !आदरणीय ,सुन्दर व प्रभावी रचना आभार। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं

  7. मै भी कुछ कहता नही 
    सिर्फ सुन लेता हूँ
    नवाबी ढंग से जीता हूँ
    पर लोगो का अदब रखता हूँ
    बेहतरीन पंक्तियाँ |

    जवाब देंहटाएं
  8. गर्म हवाओं के दौर में वैचारिक शीतलता लिए सामाजिक सौहार्द्र का परचम लिए एक उत्कृष्ट रचना। मानवीय दृष्टिकोण सभी राजनैतिक ,भौगोलिक ,धार्मिक निष्ठाओं और सीमाओं से श्रेठत्तर है। सामयिक संदेश देती सुन्दर रचना।

    जवाब देंहटाएं

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