हर दौर की एक शख्सियत
होती है
हर दौर का एक मकाम
होता है
हर दौर की इक दास्तां
होती है
हर दौर में कुछ नागवांर
होता है
हर दौर में सौगातें मिला करती है
हर दौर बुलंद इमारतें छोड जाता है
हर दौर में मोहब्बत
छुप के मिलती है
हर दौर में जमाना खिलाफ
होता है
हर दौर मे शमां सिसक
के जलती है
हर दौर में अवारा इश्क बागी होता है
हर दौर में जुबांने
करवट लेती है
हर दौर कुछ लफ्जों
से सजता है
हर दौर में शक्ल ए नज्म बदलती है
हर दौर का अपना तराना
होता है
हर दौर की खट्टी मीठी
यादें होती हैं
हर दौर कुछ कडवाहटें
भी दे जाता है
हर दौर जब होता है
बुरा लगता है
हर दौर बीत जाने पर याद आता है
हर दौर में कुछ फरमाइशें बन जाती है
हर दौर में कुछ हाथों से छूट ्जाता है
हर दौर में ख्वाइशें कमायत लाती है
हर दौर में नया हुनर ही रंग लाता है
हर दौर की एक शख्सियत
होती है
हर दौर का एक मकाम
होता है
सबके अपने अपने दौर होते हैं
जवाब देंहटाएंहर दौर अपनी कुछ न कुछ अमित छाप छोड़ कर गुजरती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना