देश का सम्मान, उसकी प्रतिष्ठा किसी भी दल या पार्टी की कूटनीतियों या आपसी मनमुटाव से परे होना चाहिये। देश का प्रधानमंत्री देश का प्रतिनिधित्व करते हैं ना कि किसी पार्टी का और इसी लिये हम सभी की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि यदि वह देश हित के लिये कार्य करें और उसमें सफल भी हो तो हमे खुले दिल से इसका स्वागत करता चाहिये। यदि विश्व में वह देश की एक मजबूत राष्ट्र के रूप छवि बनाने में सफल हुये है तो निश्चित तौर पर यह उनके अथक प्रयासों का परिणाम है।
इस कविता के माध्यम से कुछ कहने की कोशिश की है........
कितना आसान है कह देना
आखिर उसमे रक्खा क्या है
किस्मत का है धनी बहुत
वरना वो करता ही क्या है
जिसका डंका बज रहा विश्व में
बाते जिसकी सुन रहे ध्यान से
कितनी आसानी से हम कह देते
आखिर वो कहता ही क्या है
रात दिवस का मिटा के अन्तर
देश की प्रगति मे लगा निरन्तर
कितनी आसानी से हम कह देते
आखिर वो करता ही क्या है
भाई भतीजा वाद ना मन में
जनहित ही बस उसके मन में
कितनी आसानी से हम कह देते
आखिर वो तजता ही क्या है
जाति धर्म दल से सोचो हट कर
विद्रोह न कर कठपुतली बन कर
आसानी से बस अब ना कह दो
देखो सोचो तो वो करता क्या है
बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11-07-2017) को चर्चामंच 2663 ; दोहे "जय हो देव सुरेश" पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
भाई भतीजा वाद ना मन में
जवाब देंहटाएंजनहित ही बस उसके मन में